उत्तर प्रदेश में 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की पेयरिंग की जाएगी जिसका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है मुख्य सचिव द्वारा प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों को निर्देश जारी करके कम नामांकन वाले स्कूलों को आसपास के स्कूलों के साथ मर्ज करने का आदेश दिया है उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में जहां बच्चों की संख्या काफी कम है वहां पास के स्कूल के साथ उनका समन्वय करना होगा इसके अंतर्गत भवन कक्षाएं स्मार्ट क्लास सहित सभी शैक्षणिक सामग्री संसाधन साझा किए जाएंगे जिससे इनका अधिकतम उपयोग संभव हो सकेगा। ऐसे में प्रदेश के कई स्कूल बंद हो जाएंगे।
शासन के आदेश पर कम नामांकन वाले विद्यालय शिफ्ट
शासन ने कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को उनके पास के स्कूल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है शिक्षकों का कहना है कि शासन विद्यालयों की पेयरिंग के नाम पर परिषदीय विद्यालयों को बंद करने जा रहा है यह न सिर्फ शिक्षा के अधिकार अधिनियम की मूल भावना का अतिक्रमण होगा बल्कि ग्रामीण बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय भी होगा 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की संख्या बड़ी तादात में है।
50 से कम नामांकन वाले विद्यालयों में डाटा आधारित विश्लेषण
उत्तर प्रदेश में जीरो से 50 नामांकन के बीच आने वाले स्कूलों की बात की जाए तो लगभग 29079 विद्यालय संचालित किया जा रहे हैं जिनमें छात्र संख्या 50 से कम है किस प्रकार से देखा जाए तो प्रदेश में अपर्याप्त छात्र नामांकन वाले लगभग 22% विद्यालय संचालित किया जा रहे हैं इन विद्यालयों में लगभग 9.98 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं अर्थात देखा जाए तो औसत रूप से लगभग 34.5% बच्चे प्रति विद्यालय में नामांकित हैं।
वहीं इन विद्यालयों में शिक्षकों की बात की जाए तो लगभग 82997 प्रधानाध्यापक सहायक अध्यापक शिक्षामित्र और अनुदेशक कार्यरत हैं इस प्रकार से देखा जाए तो औसत रूप से प्रति अध्यापक लगभग 12.02 बच्चों को पढ़ा रहा है।
इसके साथ-साथ अपर्याप्त छात्र नामांकन वाले इन विद्यालयों के संचालन में प्रदेश सरकार द्वारा लगभग 4500 करोड रुपए प्रति वर्ष की दर से वित्त पोषण भी उपलब्ध कराया जाता है इन विद्यालयों में प्रति छात्र प्रतिवर्ष लगभग 45000 रुपए वित्त पोषण उपलब्ध कराया जा रहा है जिसमें की सभी प्रकार के अनुदान वेतन मानदेय और रखरखाव अत्यधिक सम्मिलित हैं।
सरकार के नए कदम से शिक्षकों की तैनाती और पदोन्नति पर संकट
उत्तर प्रदेश सरकार के इस नए कदम से कार्यरत शिक्षकों के साथ-साथ नए शिक्षकों की तैनाती पर भी संकट दिखाई दे रहा है प्रदेश में 15 लाख से अधिक डीएलएड B.Ed टेट सीटेट पास अभ्यर्थी शिक्षक विज्ञापन का इंतजार कर रहे हैं साथ ही लाखों की संख्या में कार्यरत शिक्षक पदोन्नति का भी इंतजार कर रहे हैं हालांकि सरकार के इस कदम के बाद पदोन्नति और शिक्षकों के नए विज्ञापन पर भी संकट दिखाई दे रहा है।
प्राइमरी स्कूलों के बनेंगे हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर
सरकार ने काम नामांकन वाले स्कूलों के समायोजन की तैयारी शुरू कर दी है विभाग का कहना है इससे शिक्षकों की कमी भी दूर हो जाएगी और पेयरिंग के बाद जो विद्यालय भवन खाली हो जाएंगे उनको प्री प्राइमरी यानी कि को लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र के रूप में उपयोग में लाया जाएगा अगर पहले से को लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है तो स्थानीय स्तर पर उसे भवन को हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर के प्रयोग में लाने के लिए दे दिया जाएगा। हालांकि विद्यालयों की पेयरिंग को लेकर शिक्षकों में विरोध जताया है और आने वाले समय में नए शिक्षकों की तैनाती पदोन्नति पर गहरा संकट बताया है साथ ही छोटे गांव के बच्चों को शिक्षा से दूर करने की बात भी कहीं जा रही है देखने वाली बात यह होगी उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में कितना महत्वपूर्ण साबित होता है।