उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में इस समय हड़कंप मचा हुआ है काम नामांकन वाले विद्यालयों का विलय का विरोध हर तरफ हो रहा है उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को विलय करने का निर्णय लिया गया है हालांकि यह मानक अलग-अलग रखा गया है कहीं 20 तो कहीं 30 तो कहीं 50 नामांकन वाले स्कूलों का विलय किया जा रहा है हालांकि शिक्षक संघों और डीएलएड उम्मीदवारों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है वहीं विभाग की ओर से इस शैक्षणिक सत्र में प्राइमरी स्कूलों को विलय करने की प्रक्रिया तेज कर दी है जिनमें नामांकन बहुत कम है ऐसे में इन सभी स्कूलों को पास के किसी बेहतर स्कूल के साथ जोड़ा जा रहा है।
विभाग द्वारा बैठक आयोजित करके योजना की प्रगति की समीक्षा की जा रही है शासन की पेयरिंग नीति यानी कि कम नामांकन वाले विद्यालयों को दूसरे विद्यालयों में शिफ्ट किया जाना है और इसके बाद रिक्त होने वाले स्कूल भवनों को आंगनबाड़ी बाल वाटिका के रूप में विकसित किया जाएगा यहां तीन से 6 साल तक के बच्चों की पढ़ाई कराई जाएगी वहीं बेसिक शिक्षा विभाग के काम नामांकन वाले विद्यालयों में कुछ कर्मचारी की नौकरी पर संकट आ गया है उनकी सेवाएं समाप्त होना लगभग तय माना जा रहा है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी स्कूल में स्मार्ट क्लास या फिर आईसीटी लब की स्थापना की सुविधा दी जानी है तो वहां काम से कम 75 विद्यार्थी नामांकित होना चाहिए इसी कारण से सरकार ने काम नामांकन वाले स्कूलों को विलय करने का निर्णय लिया है।
प्राइमरी स्कूलों को बंद करके बनाया जाएगा आंगनबाड़ी बाल वाटिका केंद्र
कम नामांकन वाले विद्यालयों को बंद करने के बाद विद्यालयों के भवन रिक्त हो जाएंगे सरकार द्वारा इन भवनों को आंगनबाड़ी बाल वाटिका के रूप में विकसित किया जाएगा और यहां 3 से 6 साल तक के बच्चों की प्री प्राइमरी की पढ़ाई कराई जाएगी इसके लिए सरकार ने प्रदेश भर में 10000 ECCE एजुकेटर नियुक्त करने का फैसला किया है जिनकी प्रक्रिया है वर्तमान में गतिमान है यह आंगनबाड़ी बाल वाटिका में 3 से 6 साल तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान करेंगे वहीं तीन से 6 साल तक के बच्चों को प्री प्राइमरी से जोड़कर संबंधित केंद्र को विलय होने वाले स्कूल से भी जोड़ा जाएगा। सरकार दूसरे चरण में भी प्री प्राइमरी स्कूलों के लिए आंगनवाड़ी वालों का एजुकेटर की तैनाती कर सकती है।
स्कूल मर्ज होने के बाद इन कर्मचारियों सेवाएं हो सकती हैं समाप्त
वैसे तो स्कूल मर्ज होने के बाद मर्ज होने वाले स्कूल के शिक्षक शिक्षामित्र और अनुदेशक पूरी तरह प्रभावित होंगे शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार स्थानांतरण करके शिक्षक शिक्षामित्र के पद समाप्त करना चाहती है वहीं स्कूल मर्ज होने के बाद सबसे बड़ा असर स्कूल में कार्यरत रसोइयों पर पड़ने वाला है।
विभाग के नियम अनुसार 50 बच्चों पर एक रसोईया जबकि 100 बच्चों के नामांकन तक दो रसोईया रखने का प्रावधान है वहीं काम नामांकन वाले विद्यालयों में दो रसोईया कार्यरत हैं वहीं अगर ऐसे विद्यालयों का विलय होता है और दोनों विद्यालयों का विलय होने के बाद नामांकन 100 से नीचे रहता है तो अतिरिक्त रसोइयों की सेवाएं समाप्त होना तय है क्योंकि विभाग के नियम अनुसार निर्धारित नामांकन संख्या पर रसोईया नियुक्त किए जाने का प्रावधान है ऐसे में स्कूल विलय होने के बाद शिक्षकों शिक्षामित्र अनुदेशकों के साथ-साथ रसोइयों पर सबसे बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है वहीं अगर दो कम छात्र संख्या वाले स्कूल मर्ज होते हैं तो शिक्षकों और शिक्षामित्र के सरप्लस होने के बाद भी बड़ी समस्या आने वाली है।
स्कूल मर्ज होने के विरोध में शिक्षक करेंगे आंदोलन
स्कूल मर्ज होने की प्रक्रिया में बड़ी संख्या में शिक्षक प्रभावित होने वाले हैं क्योंकि कई जगह शिक्षक पहले से ही सरप्लस है विलय होने के बाद और सर प्लस हो जाएंगे वहीं शिक्षकों के पदवी समाप्त हो जाएंगे इसके बाद डीएलएड अभ्यर्थियों के लिए नए विज्ञापन का रास्ता भी बंद हो जाएगा ऐसे में शिक्षक संगठनों ने स्कूल मर्ज करने का विरोध करने के लिए आंदोलन करने का फैसला किया है शिक्षक संगठनों का कहना है नियम विरोध विलय स्वीकार नहीं किया जाएगा।