UP Primary School Merger: यूपी में प्राइमरी स्कूल मर्जर प्रक्रिया शुरू, डीएलएड- प्राइमरी शिक्षकों के साथ ग्रामीण बच्चों के लिए बड़ी खबर!

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UP Primary School Merger: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन कक्षा 1 से 5 तक के प्राइमरी स्कूल तथा कक्षा 6 से 8 तक के जूनियर स्कूल संचालित किया जा रहे हैं अधिकतर स्कूल ग्रामीण क्षेत्र में संचालित होते हैं और इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में अधिकतर संख्या गरीब ग्रामीण अभिभावकों के बच्चों की होती है सरकार ने इन स्कूलों में से कुछ ऐसे स्कूलों का चयन करके दूसरे स्कूल में शिफ्ट करने का फैसला किया है।

20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू

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उत्तर प्रदेश में 20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की मर्जिंग शुरू हो चुकी है जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा खंड शिक्षा अधिकारियों से इस संबंध में सूचना मांगी जा रही है जिसे संस्कृत करने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी को भेजा जाएगा वर्तमान में 20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की संख्या की बात की जाए तो लगभग 5000 के आसपास ऐसे विद्यालय हैं जहां 20 से कम छात्र नामांकित है इन सभी विद्यालयों को एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले दूसरे प्राथमिक विद्यालयों में शिफ्ट किया जा रहा है उच्च विद्यालय में कार्यरत शिक्षक शिक्षामित्र सहित सभी स्टाफ स्थानांतरित किया जाएगा। हालांकि विद्यालय पेयरिंग करते समय ध्यान रखा जाएगा कि दोनों विद्यालयों के बीच नदी नाला रेलवे लाइन या हाईवे इत्यादि नहीं होना चाहिए।

पेयरिंग से टीचर के पद होंगे कम नई भर्ती की संभावनाएं कम

उत्तर प्रदेश में कक्षा 8 तक के लगभग 8000 से अधिक स्कूल प्रथम चरण में मर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है यह वह स्कूल है जहां छात्रों की संख्या कम है ऐसे सभी स्कूलों की रिपोर्ट जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का आदेश शिक्षा विभाग द्वारा दिया गया है ऐसे में 15 लाख से अधिक डीएलएड अभ्यर्थी जो शिक्षक विज्ञापन का इंतजार कर रहे हैं उनको भी बड़ा झटका लगा है वहीं शिक्षकों के प्रमोशन का रास्ता भी बंद हो गया है ऐसे में शिक्षक संघ के साथ-साथ डीएलएड अभ्यर्थी भी इन स्कूलों के पेयरिंग को लेकर विरोध में आ गए हैं उनका कहना है कि शिक्षकों के प्रमोशन के साथ-साथ पद भी समाप्त हो जाएंगे जिसके कारण शिक्षकों का नया विज्ञापन आने का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।

सरकार का यह तर्क

स्कूलों की पेयरिंग को लेकर सरकार का कहना है कि सभी स्टूडेंट को बेहतर और सुविधा पूर्वक शिक्षा देने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा 2020 के अंतर्गत स्कूलों के बीच सहयोग समन्वय और संसाधनों के ताजा उपयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है जिससे हर छात्र को सुविधा के अनुसार बेहतर शिक्षा प्राप्त हो सके।

सरकार की तैयारी तीन चरणों में विभाजित

सरकार हर जिले में एक मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय जो की कक्षा 1 से 8 तक खोला जा रहा है प्रदेश सरकार की ओर से इन स्कूलों में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर शैक्षणिक सुविधा आदि लागू की जाएगी हर स्कूल में काम से कम 450 छात्र आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे इसी तरह सरकार हर जिले में मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट स्कूल जो की कक्षा 1 से 12 तक संचालित होंगे स्थापना कर रही है जिसमें कम से कम 15 छात्रों को एडवांस स्टार की शिक्षा दी जाएगी हालांकि शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार पहले 20 नामांकन वाले उसके बाद 50 नामांकन वाले और इसके बाद 100 नामांकन वाले विद्यालयों को बंद करके न्याय पंचायत स्तर पर कक्षा 1 से 12 तक की पढ़ाई के लिए मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट स्कूल खोलेगी जिसके चलते शिक्षक संगठनों शिक्षकों डीएलएड डिग्री धारकों ने स्कूल पेयरिंग को लेकर विरोध शुरू कर दिया है।

28000 प्राइमरी स्कूल पूरी तरह हुए बंद

28000 प्राइमरी स्कूल पहले ही काम हो चुके हैं साल 2017 में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन 1.58 लाख से अधिक स्कूल थे इनमें एक 113299 प्राइमरी स्कूल शामिल थे कंपोजिट विद्यालयों का गठन के लिए काम छात्र संख्या वाले लगभग 28000 स्कूलों को पड़ोस के स्कूलों में मेरिट किया गया जिसमें 28000 प्रधानाध्यापक के पद सीधे कम कर दिए गए भाई शिक्षक छात्र अनुपात के बिहार से हजारों टीचर भी सर प्लस हो गए हैं।

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