सरकारी कर्मचारियों से संबंधित अनुकंपा नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को दिए गए एक फैसले में अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार मानने से इनकार किया है सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले में कई एकड़ जमीन वाले एक युवक को पिता के बाद नौकरी देने से साफ इनकार कर दिया है याचिका कर्ता उसके पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहा था न्यायालय ने कहा अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के तौर पर नहीं देखा जा सकता साथ ही ऐसे नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों का जरूरी मानदंडों को पूरा करना जरूरी होगा।
न्यायालय ने याचिका कर्ता रवि कुमार के पिता सेंट्रल एक्साईज में प्रधान आयुक्त थे अगस्त 2015 में उनके पिता का निधन हो गया था इसके बाद याचिका कर्ता ने सेंट्रल एक्साइज राजस्थान में मुख्य आयुक्त के कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति की मांग करी थी जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा अनुकंपा नौकरी अधिकार नहीं
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुकंपा को अधिकार मानने से इनकार कर दिया है सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करते हुए कहा गया कि याचिका कर्ता के पिता दो घर, 33 एकड़ जमीन और 85000 की पारिवारिक पेंशन छोड़कर गए हैं जिसके कारण याचिका कर्ता को किसी भी तरह से अनुकंपा नियुक्ति की आवश्यकता नहीं है साथ ही कहा कि उनके पास परिवार को चलाने और सुविधाओं के साथ-साथ रहने के लिए भी पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं इसलिए इनकी याचिका को खारिज किया जाता है।
जानकारी के लिए बता दें विभागीय समिति ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए 19 आवेदकों के नाम पर विचार किया था जिनमें से केवल तीन को ही पात्र माना गया था विभाग का कहना है की अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के तौर पर नहीं देखा जा सकता है ऐसे रोजगार के दावों पर सिर्फ वहां विचार किया जाएगा जहां परिवार मुश्किलों का सामना कर रहा होगा।
समिति ने अनुकंपा नियुक्ति देने से किया था इंकार
समिति ने यह कहकर अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार कर दिया था की सरकारी कर्मचारियों के परिवार में पत्नी और उनके बेटा बेटी हैं बेटा और बेटी दोनों ही बेरोजगार हैं और शादी नहीं हुई है परिवार के पास गांव में एक घर है 33 एकड़ कृषि करने लायक भूमि है और परिवार को 75000 महीने की पेंशन भी मिल रही है जो कि परिवार के भरण पोषण के लिए पर्याप्त है। जिसको लेकर याचिका कर्ता न्यायालय में गया था सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को पारित कर दिया है।